Waqf Bill क्या है?
Waqf Bill इस्लामी कानून में एक ऐसा धार्मिक और परोपकारी प्रथा है, जिसमें कोई व्यक्ति अपनी संपत्ति को दान करता है ताकि वह धार्मिक, सामाजिक या जनहितकारी उद्देश्यों के लिए स्थायी रूप से उपयोग की जा सके। यह संपत्ति आमतौर पर मस्जिदों, मदरसों, अनाथालयों, अस्पतालों और अन्य परोपकारी संस्थानों के लिए दी जाती है। वक्फ संपत्तियों का प्रबंधन वक्फ बोर्ड के द्वारा किया जाता है, जो केंद्र और राज्य सरकारों के अधीन होते हैं।
भारत में वक्फ संपत्तियों को विनियमित करने के लिए वक्फ अधिनियम, 1995 लागू किया गया था। इस अधिनियम का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के संरक्षण, प्रबंधन और उपयोग की निगरानी करना था।

वक्फ अधिनियम के प्रमुख प्रावधान:
- वक्फ बोर्ड का गठन और संचालन
- वक्फ संपत्तियों का पंजीकरण और प्रबंधन
- वक्फ संपत्तियों के दुरुपयोग को रोकने के लिए नियम और प्रावधान
- वक्फ ट्रिब्यूनल का गठन, जिससे विवादों का समाधान हो सके
- किसी भी संपत्ति को वक्फ घोषित करने की शक्ति वक्फ बोर्ड को दी गई थी
वक्फ अधिनियम में अब तक के संशोधन
वक्फ अधिनियम, 1995 में समय-समय पर संशोधन किए गए हैं। 2013 में इसमें कुछ महत्वपूर्ण बदलाव किए गए, जिनमें पारदर्शिता बढ़ाने और वक्फ बोर्डों को अधिक अधिकार देने की बात कही गई थी।
आज का Waqf bill amendment 2025
आज, 2 अप्रैल 2025 को भारतीय संसद में Waqf bill amendment प्रस्तुत किया गया। इस संशोधन विधेयक के माध्यम से सरकार वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में बड़े बदलाव करने की योजना बना रही है।
संशोधन के प्रमुख बिंदु:
- विवादित संपत्तियों पर सरकार का नियंत्रण: नए विधेयक में यह प्रस्ताव किया गया है कि विवादित वक्फ संपत्तियों का स्वामित्व और प्रबंधन सरकार के नियंत्रण में आ सकता है। इसका मतलब है कि कोई भी संपत्ति जिसे लेकर विवाद होगा, उसे सरकार के पास सौंप दिया जाएगा और वह निर्णय करेगी कि उसे वक्फ संपत्ति माना जाए या नहीं।
- गैर-मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति: पहली बार, सरकार वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिम सदस्यों को नियुक्त करने की अनुमति देने की योजना बना रही है। सरकार का तर्क है कि इससे पारदर्शिता और निष्पक्षता बढ़ेगी, लेकिन मुस्लिम संगठनों ने इस कदम की आलोचना करते हुए इसे धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप बताया है।
- धारा 40 का निष्कासन: वक्फ अधिनियम की धारा 40 को हटाने का प्रस्ताव है। यह धारा वक्फ बोर्ड को यह अधिकार देती थी कि वह किसी भी संपत्ति को वक्फ घोषित कर सकता था, भले ही उसका मूल स्वामित्व किसी गैर-मुस्लिम के पास क्यों न हो। इस धारा के हटने से अब वक्फ बोर्ड को बिना ठोस प्रमाण के किसी संपत्ति को वक्फ घोषित करने का अधिकार नहीं होगा।
- वक्फ संपत्तियों का डिजिटल रिकॉर्ड: इस विधेयक के तहत सभी वक्फ संपत्तियों को डिजिटलीकृत करने की बात कही गई है, जिससे इनका बेहतर प्रबंधन किया जा सके और किसी भी तरह की अनियमितताओं को रोका जा सके।
ये भी पढ़े : IPL 2025, LSG vs PBKS :पंजाब किंग्स ने लखनऊ सुपर जायंट्स को 8 विकेट से हराया
सरकार का पक्ष
अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने इस विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि इसका उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के दुरुपयोग को रोकना, पारदर्शिता बढ़ाना और संपत्ति विवादों को जल्दी सुलझाना है। उन्होंने कहा कि सरकार मुस्लिम धर्मस्थलों या धार्मिक संस्थाओं के कार्यों में हस्तक्षेप नहीं कर रही, बल्कि सिर्फ संपत्तियों के प्रबंधन को बेहतर बनाने का प्रयास कर रही है।
गृह मंत्री अमित शाह ने भी इस विधेयक का समर्थन किया और कहा कि यह किसी भी समुदाय के खिलाफ नहीं है। उन्होंने विपक्ष पर “तुष्टिकरण की राजनीति” करने का आरोप लगाया और दावा किया कि यह विधेयक भ्रष्टाचार को खत्म करने में मदद करेगा।
विपक्ष और मुस्लिम संगठनों की प्रतिक्रिया
कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और अन्य विपक्षी दलों ने इस विधेयक की आलोचना की है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि यह विधेयक अल्पसंख्यकों की संपत्तियों पर हमला है और इससे मुस्लिम समुदाय की धार्मिक स्वतंत्रता प्रभावित होगी।
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य कमाल फारूकी ने कहा कि यदि वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति की जा रही है, तो क्या हिंदू मंदिरों के प्रबंधन में भी मुस्लिमों को शामिल किया जाएगा? उन्होंने सरकार पर धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया।
वक़्फ़ संशोधन बिल लोकसभा में पास
लोकसभा में इस पर 12 घंटे चर्चा हुई, बिल के पक्ष में 288 और विरोध में 232 वोट पड़े।
आज ये बिल राज्यसभा में पेश होगा।