Pahalgam Terrorist Attack : कश्मीर की वादियों में मातम, 20 से ज्यादा पर्यटकों की गई जान

Pahalgam Terrorist Attack 22 अप्रैल 2025 का दिन जम्मू-कश्मीर के पहलगाम के लिए किसी डरावने सपने जैसा रहा। जब पूरा इलाका खिलती धूप और घूमने आए पर्यटकों से गुलजार था, तभी अचानक गोलियों की आवाज़ से सबकुछ थम सा गया। पहलगाम के पास बसे खूबसूरत बाइसारन घास के मैदान में आतंकियों ने अचानक हमला कर दिया। इस हमले में 20 से ज्यादा पर्यटकों की मौत हो गई और कई लोग घायल हुए।

Pahalgam Terrorist Attack

क्या हुआ था?

घटना मंगलवार की दोपहर की है। baisaran valley जो ‘मिनी स्विट्ज़रलैंड’ के नाम से जाना जाता है, वहां सैकड़ों की संख्या में लोग पिकनिक मना रहे थे, घुड़सवारी कर रहे थे और कुदरत की खूबसूरती को निहार रहे थे। तभी कुछ बंदूकधारी आतंकी वहां पहुंचे और अंधाधुंध गोलियां चलाने लगे। कोई समझ ही नहीं पाया कि यह क्या हो रहा है। चारों तरफ अफरा-तफरी मच गई। कई लोग जान बचाने के लिए भागे, लेकिन कुछ बदकिस्मत लोगों को गोलियां लग गईं।

चश्मदीदों की आपबीती

घटना के चश्मदीदों का कहना है कि हमलावरों ने अचानक हमला किया और निशाना सिर्फ आम नागरिक और पर्यटक थे। एक घायल पर्यटक, जो Delhi से अपने परिवार के साथ छुट्टियाँ मनाने आया था, ने बताया – हम भेल पूरी खा रहे थे, तभी एक व्यक्ति आया और पूछा, तुम मुसलमान हो?’ जब हमने जवाब नहीं दिया तो उसने गोली चला दी। उसकी पत्नी की मौके पर ही मौत हो गई और वह खुद गंभीर रूप से घायल है।

एक और पर्यटक ने बताया, “हमें लगा पहले किसी शादी समरोह में पटाखे चल रहे है लेकिन जब लोग गिरने लगे और चीखें सुनाई दीं, तो समझ आया कि यह कोई आतंकी हमला है।”

घायल लोगों का इलाज जारी

घटना के तुरंत बाद स्थानीय लोग और सुरक्षाबल घटनास्थल पर पहुंचे। घायलों को पास के अस्पतालों में भर्ती कराया गया, जहां उनका इलाज चल रहा है। कुछ लोगों की हालत अभी भी गंभीर बताई जा रही है। स्थानीय डॉक्टरों ने बताया कि कुछ घायलों को श्रीनगर रेफर किया गया है, क्योंकि उन्हें बेहतर इलाज की जरूरत है।

सुरक्षा एजेंसियों की कार्रवाई

हमले के बाद पूरे इलाके को सुरक्षाबलों ने घेर लिया। तलाशी अभियान जारी है और आतंकियों की तलाश की जा रही है। सूत्रों के अनुसार हमलावरों की संख्या 3 से 4 थी और वे पहाड़ी रास्तों से भाग निकले। सेना, CRPF और जम्मू-कश्मीर पुलिस मिलकर इलाके की घेराबंदी कर रही है।

गृह मंत्री अमित शाह ने इस हमले को “कायराना हरकत” बताया और कहा कि दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। उन्होंने सुरक्षाबलों को निर्देश दिया है कि आतंकियों को जल्द से जल्द पकड़ा जाए।

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Pahalgam Terrorist Attack प्रधानमंत्री और नेताओं की प्रतिक्रिया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस घटना पर दुख जताया और मृतकों के परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की। उन्होंने कहा कि यह हमला कश्मीर की शांति को भंग करने की एक कोशिश है, लेकिन भारत ऐसी कोशिशों को नाकाम करेगा।

वहीं, जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भी घटना की कड़ी निंदा की और कहा कि कश्मीर की मेहमाननवाज़ी की परंपरा को बदनाम करने की साज़िश रची जा रही है। मीरवाइज उमर फारूक ने इसे आतंकवादियों की बौखलाहट बताया और कहा कि कश्मीर में पर्यटकों पर हमला करके ये लोग हमारे समाज को नुकसान पहुंचाना चाहते हैं।

पर्यटन पर असर

यह हमला ऐसे वक्त में हुआ है जब कश्मीर में पर्यटन सीज़न शुरू हो चुका है। घाटी में गर्मियों के दौरान हज़ारों की संख्या में सैलानी आते हैं। पिछले कुछ वर्षों से कश्मीर में पर्यटकों की संख्या बढ़ रही थी और लोगों को उम्मीद थी कि घाटी में अमन लौटेगा। लेकिन इस हमले ने फिर से डर का माहौल बना दिया है।

स्थानीय लोगों का कहना है कि ऐसे हमले न सिर्फ इंसानी जान लेते हैं, बल्कि रोज़गार और भरोसे को भी खत्म कर देते हैं। पहलगाम और आसपास के कई लोगों का रोजगार टूरिज्म से जुड़ा है – कोई होटल चलाता है, कोई टट्टूवाला है, कोई खाने-पीने का ठेला लगाता है। अब सब डरे हुए हैं कि कहीं फिर से घाटी सुनसान न हो जाए।

आगे क्या?

सवाल अब ये उठ रहा है कि कश्मीर में आम लोगों और पर्यटकों की सुरक्षा कैसे सुनिश्चित की जाए? क्या और कड़े सुरक्षा इंतज़ाम किए जाएं? क्या कुछ ऐसे संवेदनशील इलाकों को पर्यटकों के लिए सीमित किया जाए?

सरकार की तरफ से कहा गया है कि ऐसे हमलों से डरने की ज़रूरत नहीं है, बल्कि एकजुट होकर आतंकवाद के खिलाफ लड़ने की ज़रूरत है। लेकिन ज़मीनी सच्चाई यह है कि जब आम लोग, जो सिर्फ कुछ दिनों की छुट्टी बिताने आए थे, उनकी जानें यूं चली जाती हैं, तो डर का माहौल बनना स्वाभाविक है।

पहलगाम का यह हमला सिर्फ एक आतंकी घटना नहीं है, बल्कि यह इंसानियत पर हमला है। जहां एक ओर कश्मीर अपनी खूबसूरती और मेहमाननवाज़ी के लिए जाना जाता है, वहीं दूसरी ओर ऐसी घटनाएं उसकी छवि को धूमिल कर देती हैं। अब वक्त है कि सभी मिलकर एक मज़बूत आवाज़ में आतंकवाद के खिलाफ खड़े हों, ताकि आने वाले दिनों में कश्मीर फिर से उसी मुस्कुराहट के साथ पर्यटकों का स्वागत कर सके।